मंगल भवन, अमंगल हारी,
द्रबहु सु दसरथ, अजिर बिहारी l
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम ll
हो, होइहै वही जो, राम रचि राखा,
को करे तर्क, बढ़ाए साखा l
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम ll
हो, धीरज धरम, मित्र अरु नारी,
आपद काल, परखिए चारी l
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम ll
हो, जेहिके जेहि पर, सत्य सनेहू,
सो तेहि मिलय न, कछु सन्देहू l
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम ll
हो, जाकी रही, भावना जैसी,
रघु मूरति, देखी तिन तैसी l
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम ll
हो, रघुकुल रीत, सदा चली आई,
प्राण जाए पर, वचन न जाई l
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम ll
हो, हरि अनन्त, हरि कथा अनन्ता,
कहहि सुनहि, बहुविधि सब संता l
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम ll
यह एक सुंदर और भक्तिभाव से पूर्ण श्रीराम भजन है जो श्रीराम के आदर्शों, मर्यादा, करुणा और नीति पर आधारित है। इसे अक्सर रामचरितमानस के प्रसिद्ध दोहों और चौपाइयों से प्रेरणा लेकर गाया जाता है। इस भजन में न केवल श्रीराम की महिमा गाई गई है, बल्कि धर्म, धैर्य, सच्चे प्रेम, और रघुकुल की परंपरा का भी उल्लेख है।
✨ भजन का सारांश लेख:
“मंगल भवन अमंगल हारी” — यह पंक्ति श्रीराम को मंगलकारी और संकटों को हरने वाले के रूप में चित्रित करती है। वे दशरथ नन्दन हैं और उनके चरणों में जाकर हर प्रकार का संकट दूर हो जाता है।
“होइहै वही जो राम रचि राखा” — यह हमें श्रीराम के लिखे विधान और भाग्य पर विश्वास करना सिखाती है। मनुष्य चाहे जितना तर्क करे, अंततः वही होता है जो ईश्वर ने तय किया है।
“धीरज धरम, मित्र अरु नारी, आपद काल परखिए चारी” — इस पंक्ति में जीवन के चार महत्वपूर्ण संबंधों को कठिन समय में परखने की बात कही गई है। जब संकट आता है तभी सच्चे धर्म, मित्रता, और नारी धर्म की पहचान होती है।
“जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू, सो तेहि मिलय न कछु सन्देहू” — यह श्लोक बताता है कि जिसे जिससे सच्चा प्रेम होता है, वह अंततः उसी को प्राप्त होता है। इसमें विश्वास रखने की आवश्यकता है।
“जाकी रही भावना जैसी, रघु मूरति देखी तिन तैसी” — भगवान हर भक्त को उसी भाव में दर्शन देते हैं जैसा भाव भक्त का होता है। यही श्रीराम के दिव्य स्वरूप की सुंदरता है।
“रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई” — यह रामराज्य की नीति है। श्रीराम के कुल की परंपरा है कि प्राण चले जाएं लेकिन दिया गया वचन कभी नहीं टूटता।
“हरि अनंत हरि कथा अनंता, कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता” — भगवान की महिमा अनंत है, उनकी कथा भी अनंत है। संतजन उन्हें अनेक रूपों में गाते और सुनाते हैं।
यह भजन श्रीराम की मर्यादा, नीति, भक्तिवेदना और भक्ति के विविध रंगों को संजोता है। इसे मंगलवार, राम नवमी, राम कथा, या किसी भी धार्मिक अवसर पर भक्ति भाव से गाया जा सकता है।
🌸 प्रस्तावना
“मंगल भवन अमंगल हारी” एक अत्यंत प्रसिद्ध और दिव्य श्रीराम भजन है जो करोड़ों भक्तों के हृदय में बसा हुआ है। यह पंक्तियाँ न केवल श्रीराम की महिमा का गुणगान करती हैं, बल्कि मानव जीवन में धर्म, विश्वास, और भक्ति की शक्ति को भी दर्शाती हैं। इस भजन का जप, पाठ या कीर्तन करने से मन में शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आत्मिक बल प्राप्त होता है।
🕉️ भजन का मूल स्रोत और इतिहास
इस भजन की मूल पंक्तियाँ गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस से ली गई हैं। यह बालकांड से उद्धृत हैं और रामचरितमानस के गूढ़ भावों का सरल और संगीतात्मक रूप है।
तुलसीदास जी ने यह महाकाव्य 16वीं शताब्दी में अवधी भाषा में लिखा था, जिससे जनसाधारण भी भगवान श्रीराम की कथा और जीवन मूल्यों से जुड़ सकें।
📜 भजन की पंक्तियाँ और उनका अर्थ
मंगल भवन, अमंगल हारी,
द्रबहु सु दसरथ, अजिर बिहारी।
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम॥
अर्थ: यह श्रीराम का स्मरण है, जो समस्त अमंगलों का हरण करने वाले और सुख-शांति प्रदान करने वाले हैं। वे दशरथ नंदन हैं, जो अयोध्या के राजमहल में पले हैं।
होइहै वही जो राम रचि राखा,
को करे तर्क बढ़ाए साखा।
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम॥
अर्थ: जो कुछ भी होता है, वह श्रीराम (ईश्वर) की इच्छा से होता है। व्यर्थ में तर्क करना केवल भ्रम बढ़ाता है।
धीरज धरम, मित्र अरु नारी,
आपद काल परखिए चारी।
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम॥
अर्थ: कठिन समय में धैर्य, धर्म, मित्रता और स्त्री का वास्तविक स्वरूप परखा जाता है। यह जीवन का गूढ़ सत्य है।
रघुकुल रीत सदा चली आई,
प्राण जाए पर वचन न जाई।
राम सिया राम, सिया राम जय जय राम॥
अर्थ: रघुकुल की परंपरा है कि प्राण चले जाएं तो चले जाएं, पर वचन कभी नहीं टूटता। यही श्रीराम का चरित्र है।
🌺 आध्यात्मिक महत्व
- सकारात्मक ऊर्जा: इस भजन को गाने या सुनने से मन में instantly शांति आती है और तनाव कम होता है।
- कर्म और धर्म की शिक्षा: यह भजन जीवन के मूल सिद्धांतों को दोहराता है — जैसे धैर्य, सत्य, वचन का पालन, और भाग्य में विश्वास।
- ईश्वर की कृपा: मान्यता है कि नियमित रूप से इस भजन का पाठ करने से श्रीराम की विशेष कृपा प्राप्त होती है, विशेषकर मंगलवार और रामनवमी के दिन।
- भक्त और भगवान का संबंध: यह भजन भक्त को श्रीराम के साथ आत्मिक रूप से जोड़ता है और उनके चरणों में समर्पण का भाव लाता है।
🙏 कब और कैसे करें इस भजन का पाठ?
- दिन: विशेष रूप से मंगलवार, रामनवमी, या किसी संकट के समय।
- स्थान: मंदिर, घर का पूजा स्थल या सामूहिक कीर्तन सभा।
- विधि: घी का दीपक जलाकर, तुलसी जल अर्पित कर, शांत मन से पाठ करें।
📌 निष्कर्ष
“मंगल भवन अमंगल हारी” केवल एक भजन नहीं, बल्कि यह एक मार्गदर्शक है। यह हमें जीवन में आस्था, निष्ठा और धैर्य रखने की प्रेरणा देता है। श्रीराम केवल एक राजा नहीं, एक मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, जिनका जीवन स्वयं धर्म है। इस भजन के माध्यम से हम उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतार सकते हैं।
Read More
https://bhajanganga.com/mobile_bhajan/lyrics/id/18025/title/mangal-bhawan-amangal-hari