ॐ जय गंगे माता
श्री गंगे माता, जय गंगे माता।
जो नर तुम्हे ध्याता, मनवांछित फल पाता॥ ॐ जय गंगे माता॥
चंद्र सी ज्योति तुम्हारी, जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता॥ ॐ जय गंगे माता॥
पुत्र सगर के तुमने, जीवन दान दिया।
भगीरथ तप करके, तुमको धरती पर लाया॥ ॐ जय गंगे माता॥
धरती पर आकर, सब पाप हरो माता।
मोक्ष प्रदान करो माँ, तुम भक्तन की त्राता॥ ॐ जय गंगे माता॥
आरती जो कोई गावे, मनवांछित फल पावे।
श्रद्धा भाव से गावे, दुःख दरिद्र मिटावे॥ ॐ जय गंगे माता॥
🙏 यह आरती माँ गंगा के दिव्य स्वरूप की स्तुति है, जो जीवनदायिनी, पापनाशिनी और मोक्षदायिनी मानी जाती हैं।
🌊 माँ गंगा की पूजा क्यों करनी चाहिए? (Why Worship Ma Ganga as per Puranas)
माँ गंगा को हिंदू धर्म में मोक्षदायिनी, पापनाशिनी और देवताओं की भी पूज्य देवी माना गया है।
स्कंद पुराण, पद्म पुराण और महाभारत सहित कई ग्रंथों में यह वर्णन मिलता है कि:
- जो व्यक्ति गंगा स्नान करता है या गंगा जल से आचमन करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
- गंगा जल में ऐसी दिव्यता है कि वह मृत व्यक्ति को भी मोक्ष प्रदान करता है।
- देवी गंगा शिव जी की जटाओं में वास करती हैं और तीनों लोकों को शुद्ध करने वाली शक्ति हैं।
🙏 इसलिए माँ गंगा की पूजा करने से:
- व्यक्ति के पूर्वज प्रसन्न होते हैं (पितृ दोष से मुक्ति),
- जीवन में शुद्धता, धन, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है,
- तथा अंततः आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
📜 पौराणिक कथा: माँ गंगा का धरती पर आगमन
यह कथा महाभारत और रामायण में भी वर्णित है, पर विशेष रूप से वाल्मीकि रामायण और स्कंद पुराण में इसका विस्तार है:
🧘♂️ राजा सगर की कथा:
- राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ किया था, जिसमें उनका यज्ञ का अश्व (घोड़ा) गायब हो गया।
- उनके 60,000 पुत्रों ने पृथ्वी खोदकर खोज की और महर्षि कपिल के आश्रम में घोड़ा पाया।
- उन्होंने कपिल मुनि पर चोरी का आरोप लगाया, जिससे क्रोधित होकर मुनि ने उन्हें भस्म कर दिया।
🌌 भगीरथ का तप:
- वर्षों बाद राजा भगीरथ, सगर वंश के उत्तराधिकारी, ने अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए कठोर तप किया।
- उन्होंने ब्रह्मा जी से माँ गंगा को धरती पर लाने का वरदान माँगा।
- ब्रह्मा जी ने वर दिया लेकिन चेताया कि पृथ्वी गंगा के वेग को सह नहीं पाएगी, इसलिए शिव जी से प्रार्थना करो।
🔱 शिव जी की कृपा:
- भगीरथ ने शिव जी की कठोर तपस्या की।
- शिव जी ने प्रसन्न होकर गंगा को अपनी जटाओं में समेटा और धीरे-धीरे पृथ्वी पर छोड़ा।
🌊 इस प्रकार, गंगा धरती पर अवतरित हुईं। भगीरथ ने उन्हें सगरपुत्रों की राख पर ले जाकर पिंडदान कराया और उन्हें मोक्ष दिलवाया।
इसलिए माँ गंगा को “भागीरथी” भी कहा जाता है।

🌼 सारांश (Summary):
- माँ गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि एक दिव्य शक्ति और देवी हैं।
- उनकी पूजा करने से पापों से मुक्ति, पूर्वजों का उद्धार, और आध्यात्मिक शुद्धता प्राप्त होती है।
- इस कारण, गंगा जल को अमृत समान माना गया है — जो कभी खराब नहीं होता।
In conclusion, she is not merely a river, but a divine force whose grace can elevate the soul beyond material existence.